मैं राख में भी अक्सर चिंगारी ढूंढता हूँ आईने में ख़ुद की तरफदारी ढूंढता हूँ। जो होकर भी कभी मेरा हो न सका उस चेहरे में अपनी रिश्तेदारी ढूंढता हूँ। जिधर भी देखो हर शक्श फ़रेबी है हर शक्श में कमबख़्त पारदारी ढूंढता हूँ। कर दिया घर अपना मैंने ग़ैरों के हवाले अब अपनो के चौखट पे वफ़ादारी ढूंढता हूँ। अपनो ने भी ख़ूब खेला मासूमियत से मेरे अब अपने ही जेब में लाचारी ढूंढता हूँ। दोस्तों ने मारा चांटा,जब दोस्ती के नाम पर अब दुश्मनों के दामन में यारी ढूंढता हूँ। © Sahil Mishra Content is copyrighted , without permission don't copy and misuse. #Nojoto #Shayari #Love #Poetry #Trending #Quotes #Nojotoquotes #Sahilmishra #Sahilmishrapoetry #PoetrySahilMishra #Writing