बेवजह ही तू सर अपना फोड़ रहा है, वो है ही नहीं जिसे तू सोच रहा है। जो हो रहा है वही होते आया है हरदम, बेकार में ही उसके आगे हाथ जोड़ रहा है, क्यूं चीख़ता है और तू पुकारता है किसे? कोई है क्या वहा जो आवाज़ तेरी सुन रहा है?।।। Bewajah....