जिंदगानी के सभी संत्रास हंसकर झेल लूंगा त्यागकर महलों के सुख सन्यास हंसकर झेल लूंगा यदि मेरे वनवास से संसार का कल्याण हो तो राम सा चौदह बरस वनवास हंसकर झेल लूंगा --प्रशान्त मिश्रा वनवास हँसकर झेल लूँगा