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एक अरसे से मिल नहीं पाया ख़ुद से मैं खो गया जैसे ख़ु

एक अरसे से मिल नहीं पाया ख़ुद से
मैं खो गया जैसे ख़ुद ही कहीं ख़ुद से
मैं भूल गया हूँ आख़िरी मुलाक़ात भी
कुछ याद नहीं कब मिला था सुध से

ना आसमान देखा ना वो सितारे दिखे
ना फूल खिले ना ही वो नज़ारे दिखे
सूनापन पसर गया है हर इक दिशा में
देखता हूँ जिधर धुआँ के ग़ुबारे दिखे

मैं हूँ केवल एक अपनी परछाई भर सा
अंधकार में घुल जाऊँगा यार सफ़र के ♥️ Challenge-803 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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एक अरसे से मिल नहीं पाया ख़ुद से
मैं खो गया जैसे ख़ुद ही कहीं ख़ुद से
मैं भूल गया हूँ आख़िरी मुलाक़ात भी
कुछ याद नहीं कब मिला था सुध से

ना आसमान देखा ना वो सितारे दिखे
ना फूल खिले ना ही वो नज़ारे दिखे
सूनापन पसर गया है हर इक दिशा में
देखता हूँ जिधर धुआँ के ग़ुबारे दिखे

मैं हूँ केवल एक अपनी परछाई भर सा
अंधकार में घुल जाऊँगा यार सफ़र के ♥️ Challenge-803 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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