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बिस्तर पर औघी पड़ा हूँ। हाथ में कलम का संग है। कवि

बिस्तर पर औघी पड़ा हूँ।
हाथ में कलम का संग है।
कविताये पढ़ रहा था।
किताबो से बिखरा मेरा पलंग हैं।
उसका चाँद सा चेहरा देखने की हसरत में ,
मेरा फीका परा अफताबि सा रंग हैं। feeling loved
बिस्तर पर औघी पड़ा हूँ।
हाथ में कलम का संग है।
कविताये पढ़ रहा था।
किताबो से बिखरा मेरा पलंग हैं।
उसका चाँद सा चेहरा देखने की हसरत में ,
मेरा फीका परा अफताबि सा रंग हैं। feeling loved