समन्दर से धुआं उठा है, आसमान में उठी है लहरें वक़्त की ये कैसी हवा चली है, जिसमें दफ़न है राज़ गहरे कौए ने कोई राग गाया है, कोयल के कण्ठ लगे हैं सपेरे "हिमांश" ये ज़िन्दगी भी न जानें किस मंझधार में फँसी है, फिर भी हम-तुम पर ही लगे हैं इतने सारे पहरे॥ ये वक़्त की कैसी हवा चली है, जिसमें दफ़न हैं राज़ गहरे..!!! #राज़_ए_ज़िन्दगी #clouds