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काश बेचैन निगाहों को यक़ीं आ जाये मौसम-ए-हिज्र है

काश बेचैन निगाहों को यक़ीं आ जाये
मौसम-ए-हिज्र है दीदार नहीं हो सकता
नाज़िम मुरादाबादी✍︎

©DrNAZIM AHMAD SHAH mausam-e-hijr →judai ka mosam
काश बेचैन निगाहों को यक़ीं आ जाये
मौसम-ए-हिज्र है दीदार नहीं हो सकता
नाज़िम मुरादाबादी✍︎

©DrNAZIM AHMAD SHAH mausam-e-hijr →judai ka mosam