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मंजिलें अपनी जगह बस मुसाफ़िर चल रहा, कर्म अपना कर र

मंजिलें अपनी जगह बस मुसाफ़िर चल रहा,
कर्म अपना कर रहा है बस मुसाफ़िर चल रहा,
मंजिलें अपनी जगह....।।
राह चलते लोग मिलते सबको अपना कह रहा,
दिल मे सबके अजनबी है प्रेम भरते चल रहा,
मंजिलें अपनी जगह....।।
कुछ तो राही हमसफर है कुछ को मंजिल दे रहा,
कुछ तो अपने रिश्तेदार हैं सबका साथी बन रहा,
मंजिलें अपनी जगह....।।
फकत् मंजिल दूर है पर साथ सबका दे रहा,
चल चला चल तू मुसाफिर हर मुसाफ़िर कह रहा,
मंजिलें अपनी जगह....।।
राज जीवन का हमेशा हर मुसाफ़िर छुपा रहा,
राह की हर चीज को प्रिय मान है अपना रहा,
मंजिलें अपनी जगह....।।
#कुशवाहाजी #मंजिल_और_मुसाफ़िर
मंजिलें अपनी जगह बस मुसाफ़िर चल रहा,
कर्म अपना कर रहा है बस मुसाफ़िर चल रहा,
मंजिलें अपनी जगह....।।
राह चलते लोग मिलते सबको अपना कह रहा,
दिल मे सबके अजनबी है प्रेम भरते चल रहा,
मंजिलें अपनी जगह....।।
कुछ तो राही हमसफर है कुछ को मंजिल दे रहा,
कुछ तो अपने रिश्तेदार हैं सबका साथी बन रहा,
मंजिलें अपनी जगह....।।
फकत् मंजिल दूर है पर साथ सबका दे रहा,
चल चला चल तू मुसाफिर हर मुसाफ़िर कह रहा,
मंजिलें अपनी जगह....।।
राज जीवन का हमेशा हर मुसाफ़िर छुपा रहा,
राह की हर चीज को प्रिय मान है अपना रहा,
मंजिलें अपनी जगह....।।
#कुशवाहाजी #मंजिल_और_मुसाफ़िर