आंखें मेरी ढूंढती है बैवजह तुझे, तुझे देख कर एक अजीब सा सुकून मिलता है, ना मिले तो जैसे दरिया में पानी कम सा लगता है, बैवजह ही सही पर मिलना जरूरी लगता है।।।।