गंगा, नही मैं तुम सी शांत,पवित्र मुझे तुम अपना सा कर दो। जैसे तुम्हारे घाट वैसे लोग मेरे मन के तट पर भी अपने विचारों संग आते है। कुछ फूल कुछ अपनी गंदगी छोड़ जाते है। मुझे तुम अपने सा तठस्थ कर दो मैं भी अपने बहाव में बहती रहूं न कमल से प्रसन्नता पाऊं न कीचड़ में धसती जाऊं। इतनी सीख मां मुझे अर्पण कर दो। ©Smita Sapre मां गंगा🙏🏻 #Life