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नसीयत यह ज़रा आज़मालो, फिज़ा में सभ रंजिशे मिला दो

नसीयत यह ज़रा आज़मालो,
फिज़ा में सभ रंजिशे मिला दो,
क्यूॅं रूठा करते हो बातों पर छोटी,
शांत मन से सभ मसले सुलझा लो।।
        हैसियत की कहाॅं बात होती हैं,
         काबलियत कब सरे आम रोती हैं,
         जब तह हैं अंत ईश्वर की शरण में,
         तो क्यूॅं वर्तमान छोड़,
         दुनिया, भविष्य की आढ़ में होती हैं।। #BalanceYourFutureGoals
#With              
#Relationships
नसीयत यह ज़रा आज़मालो,
फिज़ा में सभ रंजिशे मिला दो,
क्यूॅं रूठा करते हो बातों पर छोटी,
शांत मन से सभ मसले सुलझा लो।।
        हैसियत की कहाॅं बात होती हैं,
         काबलियत कब सरे आम रोती हैं,
         जब तह हैं अंत ईश्वर की शरण में,
         तो क्यूॅं वर्तमान छोड़,
         दुनिया, भविष्य की आढ़ में होती हैं।। #BalanceYourFutureGoals
#With              
#Relationships