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अब जा रहे हो शहर छोड़ के,तो शिकायत कैसी जब बिछड़ना ह

अब जा रहे हो शहर छोड़ के,तो शिकायत कैसी
जब बिछड़ना है तो, बातों की बग़ावत कैसी,

जलाया है हमने खुद को,यादों के दीपक से 
तो हवाओं से बचने की रवायत कैसी ,

कह रहे हो जाते जाते अच्छा अलविदा ?
तो फिर ये इजाज़त की कवायत कैसी ,

फासले रहे -गर ज़माने के भी ,
ख़ुद को सौंपा है तुझे तो सियासत कैसी,

©Neetu Sahu #distence #
अब जा रहे हो शहर छोड़ के,तो शिकायत कैसी
जब बिछड़ना है तो, बातों की बग़ावत कैसी,

जलाया है हमने खुद को,यादों के दीपक से 
तो हवाओं से बचने की रवायत कैसी ,

कह रहे हो जाते जाते अच्छा अलविदा ?
तो फिर ये इजाज़त की कवायत कैसी ,

फासले रहे -गर ज़माने के भी ,
ख़ुद को सौंपा है तुझे तो सियासत कैसी,

©Neetu Sahu #distence #
neetusahu2522

Neetu Sahu

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