मेरे नसीब में माना ज़िन्दगी के खेल में कच्चे खिलाड़ी थे हम,, जो किस्मत और भाग्य के पुजारी थे हम जो रूठी हुई किस्मत को मानने और भाग्य को जगाने चले थे हम।। 📝कलम हमारे हाथ में थी हौसला हमारे बुलंद थे जोश हमारे मन में था।। सफल ना हुए ज़िन्दगी के इस सफ़र में,😣 तो सब छोड़ उस रब के हवाले गुमनाम मुसाफिर बन खुद को तराशने निकल पड़े। नसीब _नसीब का खेल होता है अंजान राहों में कोई अपना लगने लगे तो यही किस्मत का खेल होता है।