"वो सपनें गुज़र गए" चाहत की आग में दिन-रात जलते रहे! प्यास ना बुझी एक-दूजे को कोसते रहे! कहते है प्रेम जिसे, वे तो देह पर मरते रहे! सच को झूठ कहते फ़साने पे यकीं करते रहे! एहसास अब जिंदा नहीं,दिखावे पे चलते रहे! जज्बातों की क़दर कहां, इल्ज़ाम लगाते रहे! पल-भर में रिश्ते जोड़ते, दूजे ही पल तोड़ते है! पूरी ना हुई वासना, हर एक से ताल्लुक़ रखते हैं! ना जाने कैसा इश्क़ होता है, ख़ुद को बताते सही! बाहों में कोई और, किसी और के सँग सोते है! मैं एक रोज़ जिसे ख्वाबों में देखी थी,वो चेहरा आज भी याद है! वो सपनें तो गुज़र गए मेरे, मग़र वो शख्स आज भी मुझे याद है! बदल-बदलकर करते है मोहब्बत उफ्फ ना जाने कैसे वो लोग है? एक गंदी मछली पूरे तालाब को गंदा करती, बदनाम आज सब है! #kkवोसपनेगुज़रगए #कोराकाग़ज़ #kkजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #yqbaba #yqdidi #neha