पिता, पिताओं सा लड़का खोजते है, उन्हें तुम्हारे दोस्तों से, दोस्तों के साथ वाले लड़कों से, लड़के पसंद नहीं आते। उन्हें पता है कि लड़कों के उड़ान का साथी बनने में कितनी कुर्बानियां देनी होती हैं लड़कियों को वो चाहते हैं तुम्हें शिकायतें न माफी मिलें, वो चाहते हैं तुम्हें भोगी नहीं साथी मिले, जब लोग काफी जी लें तो पता चलता है रोशनी तभी होती है जब घी पिघलता है। अनुभव बेवजह बोध करा जाता है कि उड़ानों के सपनों को छाती में दबाकर एक जिम्मेदार इंसान ही झुककर चलता है। हर्ष रंजन: तुमसे बात