हर तारीख मुमकिन है कि हो किस्मत की धनी, हर तारीख मुमकिन है कि हो मुश्किलों से भरी, हर पल में पहचान हो सकती है कोई उम्मीद लिए, कोई भी क्षण हो चाहे या यादें-वादें-इरादें ही मिले, अब किसकी पहुंच और किसकी होती है कितनी ताव, सब लेखा रखती है नियति, समझती है हर एक भाव, तन-मन-जीवन-मरण और मारण का जोड़ती है हिसाब, सिलसिला जन्मों-जन्मों तक का चलता रहता है साथ-साथ! नियति हर तारीख मुमकिन है कि हो किस्मत की धनी, हर तारीख मुमकिन है कि हो मुश्किलों से भरी, हर पल में पहचान हो सकती है कोई उम्मीद लिए,