निगाहें सुना है इश्क़ का कुछ यूँ , अंदाज़-ऐ-आगाज होता है जुबां हो जाती है चुप , और निगाहों से पढ़ हर जज़्बात होता है यूँ तो दिल भी करता है , कि सब बयां कर दिया जाए भला जमाने से डर , कहाँ कुछ कह कोई अल्फाज़ होता है जुबां हो जाती है चुप , और निगाहों से पढ़ हर जज़्बात होता है ये इश्क़ इक मजहब है , इसकी अपनी ही इक भाषा है हर एक के वश की नही , इसका तो आशिक़ ही हमराज़ होता है जुबां हो जाती है चुप , और निगाहों से पढ़ हर जज़्बात होता है और आज़माना हो आशिक़ोँ को , तो बंद करदो इनकी जुबाँ फिर देखना कैसे , निगाहों ही निगाहों मे सब परवाज होता है जुबां हो जाती है चुप , और निगाहों से पढ़ हर जज़्बात होता है ©pankeet ##WForWriters #pankeet #WForWriters #गीत #geet #nojoto Pankaj Singh Vasudha Uttam sana saadgi Antima Jain Rajesh rajak #WForWriters