बात को बस बात ही रहने दो, तुम खुद को मेरे पास ही रहने दो; आज बातों को राज ही रहने दो, आज रात बिन बात के बीतने दो; लफ़्ज़ों को ख़ामोश ही रहने दो, बहुत लम्बी है मेरे दिल की बातें; सारी बातों को अंदर ही रहने दो, बात को बस बात ही रहने दो; आज जुबां को विराम देने दो, लफ़्ज़ों को कुछ आराम करने दो; आज चारों भीगी आँखें को रहने दो, बात को बस बात ही रहने दो; दर्द को सारे मेरे नाम रहने दो, खुद को मेरे सीने से लगी रहने दो; जुल्फों को यूँ ही हवाओं में लहराने दो, बात को बस बात ही रहने दो; इस खामोश मिलन की रात को, आज यु बाग़ ए गुलज़ार होने दो; रखो मेरे लबों पर अपने लबों को, और बात को बस बात ही रहने दो; सुनो दिल में मेरे तुम्हारी वही वो, पुरानी तस्वीर ही बसी रहने दो; दोनो के बीच की दुरी को मिटने दो, बाकी बात को बस बात ही रहने दो ! ©sramverma बात को बस बात रहने दो।