मन का मैल मन में मैल रखकर, दिखावे का संसार, यह तो मिट्टी के पुतले का है व्यवहार। ऊपर रंगों से सजी, अद्भुत एक काया, पर भीतर खालीपन का बसेरा पाया। जैसे सूखी मिट्टी पर, चढ़े रंग हजार, पर भीतर से खोखला, कहां देगा सहार। ऐसा ही दिखावा है, जो दिल को छलता, सत्य की रोशनी में, हर चेहरा बदलता। सजावट बाहरी हो, पर मन हो निर्मल, यही तो जीवन का है सच्चा संबल। क्योंकि जो भीतर उजला, वही सच कहलाए, बाकी सब माया है, जो पल में मिट जाए। तो छोड़ो यह दिखावा, सच्चाई अपनाओ, मन का मैल धोकर, खुद को निखराओ। बनेगा जीवन फिर से, खुशियों का संसार, जहां दिल के हर कोने में, बसेगा प्यार। ©Writer Mamta Ambedkar #BudhhaPurnima हिंदी छोटे सुविचार आज का विचार नये अच्छे विचार अच्छे विचारों अनमोल विचार