तूने बख़्शे हैं जो आज़ार कहॉं रक्खूँगा ये गिरे गुन्बदो मीनार कहॉं रक्खूँगा ! मेरा घर है कि किताबों से भरे हैं कमरे सोच इसमें भला हथियार कहाँ रक्खूँगा ! अपने बच्चों से हरेक ज़ुल्म छुपा लूँगा मगर, छः दिसंबर तेरे अखबार कहाँ रक्खूँगा ! #BabariZindaHai . ©Sarfaraj idrishi #writing तूने बख़्शे हैं जो आज़ार कहॉं रक्खूँगा ये गिरे गुन्बदो मीनार कहॉं रक्खूँगा ! मेरा घर है कि किताबों से भरे हैं कमरे सोच इसमें भला हथियार कहाँ रक्खूँगा ! अपने बच्चों से हरेक ज़ुल्म छुपा लूँगा मगर, छः दिसंबर तेरे अखबार कहाँ रक्खूँगा ! #BabariZindaHai