गर तू शीतल चंदन का वृक्ष मै उसमे लिपटने वाली सर्प प्रिए तू चंद्रमा पूनम रातों का मै उसमे अर्पित होने वाला अर्क प्रिए तुझ संग लागे जन्नत ये जहान तुझ बिन जीवन भी नर्क प्रिए प्रेम तो निश्चल निस्वार्थ भाव है तुझ बिन इसका क्या अर्थ प्रिए #प्रिए#प्यारे#love#जीवन