सपनों की है ये दुनिया,मैं मुसाफ़िर हूँ यहाँ पर मिलता वो नहीं है,दिखता है जो यहाँ पर चेहरों के पीछे चेहरे,अक्सर यहाँ है मिलते दिल में कुछ है होता,होता है कुछ जुबां पर आँखों से जो है दिखता,सिर्फ वो ही सच नहीं है कपड़ों जैसे रिश्ते,रोज़ बदलते हैं यहाँ पर झूठ का है फ़साना,हकीक़त सिमट रही है दौलत का है बोलबाला,हर चीज़ बिक रही है सिर्फ पाना ही कहाँ है,खोना भी है यहीं है पाने से पहले खोना,जरूरी शर्त है यहाँ पर पल भर का है साथ हमारा,दुनिया बदल रही है कहीं आग जल रही है,कहीं राख उड़ रही है... Abhishek Trehan #sapnokiduniya #sapne #collab #yqdidi #life #lifepoetry #hindipoetry #hindishayari