सुनो! जब तुम आये थे ना,चन्द लम्हो के लिए ही सही| पर मेरे लिए तो जैसे मानो आशाओं की बीज जो वर्षो से दबी थी वो अंकुरीत होने लगी थी ख्यालों के बंजर जमीं पर हरीयाली की इक धुन सी बजने लगी थी,नैन रुपी कोपलों ने तो तुम्हारे तुम्हारे साथ मिलकर अपनी लताओं को फैलाने के सपने सजाने लगे थे पर तुम तो उन बीजों को ही तोड़ने आये थे बीज ही नही तो अंकुरण,हरीयाली,कोपल,लताऐं सब बस इक ख्वाब ही हैं जो इक अन्तहीन इन्तजार में इन पलकों को बिछाये रहेंगी.... खैर अगर ऐसे ही आना हैं तो अब फिर से मत आना क्योकि शायद इन ऑखों मे अब इतनी सामर्थ्य नहीं | #nojoto #nojotohindi #dontcomeagain #tst