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निहत्थे से रह गए थे हम देखकर बदला सा वो रूप तुम्ह

निहत्थे से रह गए थे हम
देखकर बदला सा 
वो रूप तुम्हारा
ठगे से रह गए थे हम
चेहरों पर लगा चेहरा तुम्हारा
पलटते किताबों के उन 
आखिरी पन्नों सा
अंत कर रहे थे हम
गर एक पन्ना बीते कल का
पढ़ें तो फिर ठगे जायेंगे हम..✍️

©Preeti jaiswal..Vijjy
  #preetijaiswal..#kitaab