डाकिये ने ख़त पहुंचाया नही है, तेरा पैगाम अब तक आया नही है. जो कब्र तुम कोड़ के गये थे यहां, मैंने ख़ुद को उसमें सुलाया नही है. मानता हूँ, कि मैं तो गिरा हुआ हूँ, मगर तुमने भी मुझे उठाया नही है जहाँ मे हर रास्ता तुमने दिखाया, कभी क्यूँ घर पर बुलाया नही है? तेरा ख़्वाब आता है चला ना जाए सोचकर नींद से जगाया नहीं है. आशिक हूँ तेरा जानता है ये जहाँ, बस ख़ुद को ही बताया नही है. तेरे लिए गीत गाता हूँ महफ़िल मैं, बस तुझे अब तक सुनाया नही है. वो जाएगा भी तो रूला के जाएगा, मुझे मेरी कब्र मे सुला के जाएगा. जहाँ :- दुनिया