ऐ बारिश के बूंदें कुछ मेरा भी सुन ले तपती जमी से तप रहा मेरा तन बैचेन है प्यासे हरी हरी मैदान के घांसे आ आके मेरे सुखे कंठों में शीतल जल दे जा ऐ बारिश के बूंदें कुछ मेरा भी सुन ले त्रस्त उठी है कल कुआं वीरान है पोखर मूर्छित हो चुकी है बैसाखी फसल छम छमा जा आके दरार पड़ी खेतों में ऐ बारिश के बूंदें कुछ मेरा भी सुन ले।