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उलझन इस बात की है कि मे क्यु सुनाऊ किसी ओर के किस्

उलझन इस बात की है कि मे क्यु सुनाऊ किसी ओर के किस्से सिर्फ़ वाह वाह 
पाने को 

फ़कत मेरी कहानी ही काफी हे इस महफ़िल मे 
सजाने को

©Shaikh Shayar Manisha kushwah k Smile prashu pandey megha kumari Er.ABHISHEK SHUKLA
उलझन इस बात की है कि मे क्यु सुनाऊ किसी ओर के किस्से सिर्फ़ वाह वाह 
पाने को 

फ़कत मेरी कहानी ही काफी हे इस महफ़िल मे 
सजाने को

©Shaikh Shayar Manisha kushwah k Smile prashu pandey megha kumari Er.ABHISHEK SHUKLA