उलझन इस बात की है कि मे क्यु सुनाऊ किसी ओर के किस्से सिर्फ़ वाह वाह पाने को फ़कत मेरी कहानी ही काफी हे इस महफ़िल मे सजाने को ©Shaikh Shayar prashu pandey Er.ABHISHEK SHUKLA