नीलम का मांगलिक होने के कारण, लड़का मिलना मुश्किल है। कहकर रामसिंह ने अखबार को सोफे पर फेंककर बैठ गयें, अरे.... ऐसे कैसे लड़का नहीं मिल रहा, चार समाज में जाओ, उठो-बैठो, तो ना पता चलेगा, यहां सोफे पर बैठे-बैठे लड़का खुद थोड़ी ना आ जाएगा। शकुंतला रामसिंह से बोली रामसिंह सोफे से उठ खड़े हुए,और अखबार को हाथ में लेकर बोले, तुम्हें क्या लगता है, मुझे नहीं चिंता है नीलम की, यह देखो अखबार में भी नीलम का रिश्ता डाला हूं... पर तुम्हें लगता है कि मैं बस बैठा हूं। नीलम की बढ़ती उम्र को लेकर चिंता में हूं, पता नहीं, किस ग्रह में पैदा हुई थी...जो मांगलिक निकली, अब तो आते-जाते, आस-पड़ोस भी पूछ रहे हैं कि, अपनी पोती की शादी में कब बुला रहे हो, हह्ह...आज महेश जिंदा होता, तो यह परेशानी ना होता। रामसिंह की बातों को सुनकर शकुंतला बोली, अच्छा सुनिए! पंडित जी ने जो पिछली बार एक लड़का बताया था, उसी से एकबार फिर बात कर लो, और उनसे माफी मांग कर ,बस हाँ कह दो. रामसिंह माथे को सिकोड़कर बोला, उस लालची से अरे 20 लाख मांग रहा हैं, 20 लाख देकर, नीलम को विदा करू, नहीं, तुम्हें क्या लगता है, हमारी बेटियों के ससुरालवाले, क्या कहेंगे कि अपनी बेटियों को छ: लाख में विदा किया, और पोती के लिए 20 लाख, नहीं.. नही.. शकुंतला, यह मुझसे नहीं होगा।