अच्छा होता अगर कोई अच्छा काम करते बेकार में ही हमनें बेकार की आशिकी की वो पूछते हैं कि क्या कमाया हमने वो क्या जाने एक उम्र तक हमने उनकी गुलामी की वो गरूर कर बैठे हैं खामखाँ अपने हुस्न का उन्हे कौन समझाए हमने महोब्बत रूह से की जो सुन ना सका वो तुझे पढेंगाँ क्या #दिप खामखाँ काली शयाही से हमने डायरीयाँ काली की #दिपकमल 14/3/20121 ✍ ©Deep kamal #Light