आंखों से इसलिए मेरे लाली नहीं जाती । कोई रात जो तेरी यादों से ख़ाली नहीं जाती। कोई आये आकर मेरे दर्द संभाले । ये जागीर तो हमसे संभाली नहीं जाती । # wasi shah # # wasi Shah poetry# ye जागीर हमसे