ख़ुदा की लिखी हुई तहरीर बन जाती है। ख़ामोश लबों की तक़रीर बन जाती है। 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 दायमी कैफ़ियत मिले उसकी सीरत में। सुहाने जीवन की तदबीर बन जाती है। 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 'पंछी' तलाश में फ़िरते रहे हैं दर-बदर! ख़यालों में उसकी तस्वीर बन जाती है। #पाठकपुराण तहरीर - लिपि ( अभिलेख ) तक़रीर - वक्तव्य ( विचार ) तदबीर - प्रारूप ( योजना ) दायमी-कैफ़ियत- सदाबाहर सुकून ( परम् आनंद ) : Neha Pathak