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कारवां गुजरते हैं मंज़िल की तालाश में, पर रहें खत्

कारवां गुजरते हैं मंज़िल की तालाश में, पर रहें खत्म नहीं होती।
कुछ कदम चलकर हमराही जुदा हो जाते है, पर यादें खत्म नहीं होती।
कुछ लम्हे जो साथ गुजरे थे हमने वो फ़िर लौट कर नहीं आते, पर ख्वावो भारी राते खत्म नहीं होती।
लाख कह लो, लाख सुन लो, पर कुछ बातें खत्म नहीं होती।
क्यों पतझड़ झुलसाए, कक्यों ना सावान रुलाए, पर कुछ बरसाते खत्म नहीं होती।
कुछ मिले , कुछ बिछड़े, कुछ मुंह मोड़ कर चल दिए, पर साथ बताई यादें कभी खत्म नहीं होती।

©Broken Angel #merakhayaal 
#MereKhayaal
कारवां गुजरते हैं मंज़िल की तालाश में, पर रहें खत्म नहीं होती।
कुछ कदम चलकर हमराही जुदा हो जाते है, पर यादें खत्म नहीं होती।
कुछ लम्हे जो साथ गुजरे थे हमने वो फ़िर लौट कर नहीं आते, पर ख्वावो भारी राते खत्म नहीं होती।
लाख कह लो, लाख सुन लो, पर कुछ बातें खत्म नहीं होती।
क्यों पतझड़ झुलसाए, कक्यों ना सावान रुलाए, पर कुछ बरसाते खत्म नहीं होती।
कुछ मिले , कुछ बिछड़े, कुछ मुंह मोड़ कर चल दिए, पर साथ बताई यादें कभी खत्म नहीं होती।

©Broken Angel #merakhayaal 
#MereKhayaal
alkakumari1485

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