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धीरे धीरे ढल रही है रात। मूक अधरों में छिपे हैं रा

धीरे धीरे ढल रही है रात।
मूक अधरों में छिपे हैं राज़।।

©डॉ वीणा कपूर "वेणु"... ढलती रात 

#FathersDay
धीरे धीरे ढल रही है रात।
मूक अधरों में छिपे हैं राज़।।

©डॉ वीणा कपूर "वेणु"... ढलती रात 

#FathersDay