चाह कर भी उसे भुला नही सकता कुछ भी कर सकता हूँ। मगर उसे रुला नही सकता सुनी पड़ी है गोद मेरी सर रख उसे सुला नही सकता गिर चुका हूँ इतना अब की उसे नज़र मिला नही सकता ख्बाव सजोये थे जिसने आफताबों के में मुफ़लिस उसको एक जुगनू दिला नही सकता कुछ भी कर सकता हूँ मगर उसे रुला नही सकता ©Dr Ravi Lamba #Shaayari #hindi_poetry #ghazal #hindiwriters #urduwriters #Urdughazal #rahat #MereKhayaal