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भगवती देवी महामाया कि कथा ( अनुशीर्षक में पढ़ें )

भगवती देवी महामाया कि कथा
( अनुशीर्षक में पढ़ें )

 दुर्गा सप्तसती के प्रथम अध्याय में महर्षि मेधा ने
राजा सुरथ  और वैश्य समाधि को भगवती देवी  योगमाया की कथा और उनके  प्रभाव से मधु कैतभ के वध की कथा सुनाई | 

कथा इस इस प्रकार है


संसार को जलमय करके जब भगवान विष्णु योगनिद्रा का आश्रय लेकर शेषशैय्या पर सो रहे थे तब मधु-कैटभ नाम के दो असुर उनके कानों के मैल से प्रकट हुए और वह श्रीब्रह्मा जी को मारने के लिए तैयार हो गये। श्रीब्रह्माजी ने जब उन दोनो को अपनी ओर आते देखा और यह भी देखा कि भगवान विष्णु योगनिद्रा का आश्रय लेकर सो रहे हैं तो वह उस समय श्रीभगवान को जगाने के लिये उनके नेत्रों में निवास करने वाली योगनिद्रा की स्तुति करने लगे। 
भगवती देवी महामाया कि कथा
( अनुशीर्षक में पढ़ें )

 दुर्गा सप्तसती के प्रथम अध्याय में महर्षि मेधा ने
राजा सुरथ  और वैश्य समाधि को भगवती देवी  योगमाया की कथा और उनके  प्रभाव से मधु कैतभ के वध की कथा सुनाई | 

कथा इस इस प्रकार है


संसार को जलमय करके जब भगवान विष्णु योगनिद्रा का आश्रय लेकर शेषशैय्या पर सो रहे थे तब मधु-कैटभ नाम के दो असुर उनके कानों के मैल से प्रकट हुए और वह श्रीब्रह्मा जी को मारने के लिए तैयार हो गये। श्रीब्रह्माजी ने जब उन दोनो को अपनी ओर आते देखा और यह भी देखा कि भगवान विष्णु योगनिद्रा का आश्रय लेकर सो रहे हैं तो वह उस समय श्रीभगवान को जगाने के लिये उनके नेत्रों में निवास करने वाली योगनिद्रा की स्तुति करने लगे।