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चाँद से कह दो थोड़ी देर को उतर आए मर्तबान में, मेरी

चाँद से कह दो थोड़ी देर को उतर आए मर्तबान में,
मेरीे आँखों को सुकूँ देने वाली ठण्डी रोशनी की ज़रूरत है।
वैसे सूरज भी आया था रोशनी उसमे भी क़माल थी
मगर गर्मी बहुत दे गया, और मुझे तपा गया।

तपिश इतनी बड़ गई के हक़ीम को बुलाना पड़ा
हक़ीम के हाथों में शिफ़ा ज़रा कम है

मेरे मालिक हक़ीम को शिफ़ा,मुझे ठण्डी रोशनी
बख़्श ! .................................................
©️✍️ सतिन्दर पापा
Satyaprem Mukesh Poonia Amit Sharma Dalchand Shiwang Sinha
चाँद से कह दो थोड़ी देर को उतर आए मर्तबान में,
मेरीे आँखों को सुकूँ देने वाली ठण्डी रोशनी की ज़रूरत है।
वैसे सूरज भी आया था रोशनी उसमे भी क़माल थी
मगर गर्मी बहुत दे गया, और मुझे तपा गया।

तपिश इतनी बड़ गई के हक़ीम को बुलाना पड़ा
हक़ीम के हाथों में शिफ़ा ज़रा कम है

मेरे मालिक हक़ीम को शिफ़ा,मुझे ठण्डी रोशनी
बख़्श ! .................................................
©️✍️ सतिन्दर पापा
Satyaprem Mukesh Poonia Amit Sharma Dalchand Shiwang Sinha