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*****स्मृतियाँ****** नदियों के प्रवाह सी हैं तुम्

*****स्मृतियाँ******

नदियों के प्रवाह सी हैं तुम्हारी स्मृतियाँ
जो कभी ठहरती नहीं,
टकराकर चोटिल हो जाती हैं
मगर रुकती नहीं,
अंततः मिलती है पीड़ा के समुद्र से
मगर अस्तित्व मिट पाता नहीं,
विलीन हो जाती है उस जल में
मगर जीवन में ठहराव लाती नहीं,
पूनम के चंद्र सा है मेरा हृदय
तुम्हारी स्मृतियों का जवार-भाटा ठहरता नहीं,
शुष्क रेगिस्तान सी हो गयी ये जीर्ण शीर्ण काया
कंटक ही साथ रह गए हरियाली अब आती नहीं,

©Richa Dhar #sagarkinare स्मृतियाँ
*****स्मृतियाँ******

नदियों के प्रवाह सी हैं तुम्हारी स्मृतियाँ
जो कभी ठहरती नहीं,
टकराकर चोटिल हो जाती हैं
मगर रुकती नहीं,
अंततः मिलती है पीड़ा के समुद्र से
मगर अस्तित्व मिट पाता नहीं,
विलीन हो जाती है उस जल में
मगर जीवन में ठहराव लाती नहीं,
पूनम के चंद्र सा है मेरा हृदय
तुम्हारी स्मृतियों का जवार-भाटा ठहरता नहीं,
शुष्क रेगिस्तान सी हो गयी ये जीर्ण शीर्ण काया
कंटक ही साथ रह गए हरियाली अब आती नहीं,

©Richa Dhar #sagarkinare स्मृतियाँ
richadhar9640

Richa Dhar

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