हिंदी हैं हम, हिंदुस्तान हमारा किस कदर दुश्मनी बढ़ गयी है इस मोहब्बत के शहर में पूछता फिर रहा हूँ किस शैतान का हाथ है इस कहर में। जहाँ देखो वहाँ हर तरफ दंगे हो रहे है, सरेआम लोग यहाँ नंगे हो रहे है, मुश्किल है निकलना बाहर भरी दोपहर में पूछता फिर रहा हूँ किस शैतान का हाथ है इस कहर में। हिन्दू मुस्लिम कभी भाई की तरह रहते थे यहाँ अब वो प्यार वो भाईचारा जाने गया कहाँ मोहबत का नामोनिशान मिट गया है इस रहगुजर में पूछता फिर रहा हूँ किस शैतान का हाथ है इस कहर में। #untoldpoetry #hindustaani