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आज हम किस डगर पर आआ गये.......... आपना इंसानियत बे

आज हम किस डगर पर आआ गये..........
आपना इंसानियत बेच कर खुद खा गये|
क्या गुनाह था...उस नन्हीं सी जान का
कुछ वहशी दरिंदों ने आपना आहार बना गये|
शर्मशार हुई फिर आज मानवता.....
कहाँ कोई मिला एक बुद्धिजीवी....
जो उस नन्हीं सी जान के आपना लिऐ अवार्ड लौटा गये|
हिन्दु मुस्लिम में बाँट कर रख दिया है इस समाज को,
वो आसिफा थी साहेब जिसे जिसके लिये सब आगे आये,
निकाला था सबने कैडंल मार्च...बदल डाली थी डिपी अपनी,
मातम छाया था पुरे देश में....तुम हिन्दु हो न इसलिये भुला दिये गये| #justicefor #twinkal
आज हम किस डगर पर आआ गये..........
आपना इंसानियत बेच कर खुद खा गये|
क्या गुनाह था...उस नन्हीं सी जान का
कुछ वहशी दरिंदों ने आपना आहार बना गये|
शर्मशार हुई फिर आज मानवता.....
कहाँ कोई मिला एक बुद्धिजीवी....
जो उस नन्हीं सी जान के आपना लिऐ अवार्ड लौटा गये|
हिन्दु मुस्लिम में बाँट कर रख दिया है इस समाज को,
वो आसिफा थी साहेब जिसे जिसके लिये सब आगे आये,
निकाला था सबने कैडंल मार्च...बदल डाली थी डिपी अपनी,
मातम छाया था पुरे देश में....तुम हिन्दु हो न इसलिये भुला दिये गये| #justicefor #twinkal