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पाया अभी नहीं, खोना कभी नहीं। कहना अभी नहीं, सहना

पाया अभी नहीं,
खोना कभी नहीं।

कहना अभी नहीं,
सहना सही नहीं।

मजधार में हूं यहीं,
समझदार मैं हूं नहीं।

हवा इक ओर बही,
सजा इक और सही।

कल कोई और नहीं,
हल कोई और नहीं।

रुका हूं महीनों से यहीं,
लूटा हूं, हसीनों से यहीं।

पाया अभी भी नहीं,
खोना कभी भी नहीं।

©Amit Vashisht
  #Gulaab 
दरमियां दरार डर की पड़ी,
पाया अभी नहीं,
खोना कभी नहीं।

#Gulaab दरमियां दरार डर की पड़ी, पाया अभी नहीं, खोना कभी नहीं। #Poetry

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