तुम आपनी जिन्दगी को ना बनना कभी बहारों की तरह नहीं तो वो पतझड़ बन जायेगी ना उगना कभी हर रोज़ सूरज की तरह नहीं तो जिंदगी हर रोज़ ढल जायेंगी ना पाना खुद को बुलंदी पर कभी सितारो की तरह वक्त के साथ वो भी टूट जायेंगी जीना तुम हवा की तरह कभी खामोशी से चलना तो कभी खुद को आँधी में बदलना रहना हमेंशा मिट्टी में तुम जमीं को ही अपना घर समझना हिमालय से निकल कर जो तुम मिल जाओ कभी दरिया में तो यह सफ़र ऐ जिंदगी समझना #Life