जब कभी नाम दिनकर आए। ऐसे कवि की छवि बन जाए।। देशप्रेम की स्वाद चखी जो। रखे लेखनी ऐसे ही वो।। कलम तेज थी ऐसी उनकी। नाम पुकारे सबजन जिनकी।। कौन रश्मिरथी न है जाने। सब हैं इसकी लोहा माने।। राष्ट्रकवि उपनाम जो पाए। सबजन जिनको शीश नवाए।। लिखी कालंजयी कविताएं। बहा दिया कितनी सरिताएं।। ©Bharat Bhushan pathak #दिनकर_जयंती #ramdharisinghdinkar #रामधारी_सिंह_दिनकर जब कभी नाम दिनकर आए। ऐसे कवि की छवि बन जाए।। देशप्रेम की स्वाद चखी जो। रखे लेखनी ऐसे ही वो।। कलम तेज थी ऐसी उनकी। नाम पुकारे सबजन जिनकी।। कौन रश्मिरथी न है जाने।