जिंदगी अधुरी सी लगती थी खुशियां रुठी सी लगती थी न जाने कोणसी कशमकश मे थी हर आरजू अधुरी सी लगती थी न जाने कैसे कलम उठाके लिखना शुरू किया हाथों ने पलट के देखा उन बिखरे हुए लिखे हुए पन्नों पे अब उनपे अब ये जिंदगी मुकम्मल सी लगती हैं रुठी हुई खुशियां न जाने क्यूँ अब अपनी सी लगती हैं शौक तो कभी नही था लिखने का पर कुछ इस तरह उलझे हैं इस उलझन में कि सुलझने ना का दिल ही नही करता अब खुशियों को भी लिखावट में सजाया करते हैं अब बातों मे भी बस खुशियों का इजहार करते हैं।।। #WritingLife#yourquotes#writing love#yqbaba#quotes