"नारी हूं मैं इस युग की" नारी हूं मैं इस युग की, नारी की अलग पहचान बनाऊंगी। मुझे जिस भी क्षेत्र में भेजोगे, सर्वश्रेष्ठ कर दिखाऊंगी। औरों से अलग हूं मैं, कुछ अलग करके ही जाऊंगी।। नारी हूं मैं इस युग की....... चाह नहीं हैं एक अलग नाम की, इसी को महान बनाऊंगी। दुनिया के इस कठिन मंच पर, एक प्रदर्शन मैं भी दिखलाऊंगी।। नारी हूं मैं इस युग की.......... कठपुतली नहीं किसी खेल की, अब स्वतंत्र मंचन पर अपना परचम लहराऊंगी। ना किसी से कम हूं, और ना ही मैं पीछे हटूंगी। जब-जब भी आह्वान होगा, अपनी योग्यता मनवाऊंगी।। नारी हूं मैं इस युग की....... जीवन की हर विपरीत परिस्थिति में, पग-पग के हर संत्रस्त मोड़ पर, रख हौसलों को बुलंद, उससे भी लड़ जाऊंगी।। नारी हूं मैं इस युग की.......... इस धरा पर मां-बेटी बनकर आई हूं, और अपना फर्ज निभाऊंगी। मैं वचन तुझे देती हूं "भारत मां", तेरी कोख कभी न लजाऊंगी।। नारी हूं मैं इस युग की........ मैं भी सरहद पर लड़ने जाऊंगी, वीरों में शामिल हो जाऊंगी। शेरनी बनकर टूट पड़ूंगी और झांसी की रानी कहलाऊंगी।। नारी हूं मैं इस युग की........... मैं लेकर तिरंगा हाथों में, वंदे मातरम् गाऊंगी। भारत के इतिहास में, मैं भी अमर हो जाऊंगी।। नारी हूं मैं इस युग की............ ©Harshita sharma "#इस युग की नारी" #कविता #coldnights