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★नल की व्यथा . यदि चल सकता में भी,अपने पैरों से तो

★नल की व्यथा
.
यदि चल सकता में भी,अपने पैरों से
तो में चलकर जाता मेरी पंग पंचायत तक 
और कहता इन महंगे नलों की टोंटियों ने
छीन लिये है...
सुकुमारियो के हाथ
इसके कारण ही छोड़ रही हैं वो साथ।
में चल सकता नही
पर तुमने चलाना क्यों छोड़ दिया।। #नल #ही #आज #का #गरीब 
#पंचायत  #पंगु 
आधुनिक नल से तातपर्य अमीर व्यक्तियों से है जिनके द्वारा सरपंच विधायको को मोटी रकम खिलाकर स्वम् के। कार्यो को निकाल लेते हैं,और गरीबो के हक को छीन लिया जाता हैं।
यह आलोचना आधुनिकीकरण पर भी हैं किस प्रकार मशीनी युग ने श्रम जीवियों के श्रम को छल लिया है,
यह आलोचना उन प्रेमिकाओं पर भी हैं जो आधुनिक मनचलों के बाह्य आकर्षण से छली जाती हैं,
★नल की व्यथा
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यदि चल सकता में भी,अपने पैरों से
तो में चलकर जाता मेरी पंग पंचायत तक 
और कहता इन महंगे नलों की टोंटियों ने
छीन लिये है...
सुकुमारियो के हाथ
इसके कारण ही छोड़ रही हैं वो साथ।
में चल सकता नही
पर तुमने चलाना क्यों छोड़ दिया।। #नल #ही #आज #का #गरीब 
#पंचायत  #पंगु 
आधुनिक नल से तातपर्य अमीर व्यक्तियों से है जिनके द्वारा सरपंच विधायको को मोटी रकम खिलाकर स्वम् के। कार्यो को निकाल लेते हैं,और गरीबो के हक को छीन लिया जाता हैं।
यह आलोचना आधुनिकीकरण पर भी हैं किस प्रकार मशीनी युग ने श्रम जीवियों के श्रम को छल लिया है,
यह आलोचना उन प्रेमिकाओं पर भी हैं जो आधुनिक मनचलों के बाह्य आकर्षण से छली जाती हैं,