बुलावा तो हर रोज आता है। मगर तेरी दहलीज पर कदम रखना मुमकिन नहीं। मैं तेरा आशिक़ हूं। कोई तेरे घर का मेहमान नहीं। ©Azhar Waquar बुलावा तो हर रोज आता हैं #dawnn