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हम  शरण  आ गए  हैं सुनो  माँ हमारी। मातु हमपर दिखा

हम  शरण  आ गए  हैं सुनो  माँ हमारी।
मातु हमपर दिखा दो कृपा आज भारी।
वंदना   कर   रहे  जोड़कर  हाथ  दोनों-
आरती  भी  करें  हम  सदा ही तुम्हारी।

मातु जीवन हमारा तुम्हीं अब सँवारो।
लाख कष्टों दुखों  से हमें  तुम उबारो।
नाव  अज्ञान  की  ले चले बीच धारा-
अब फँसी नाव है  माँ किनारे उतारो।

राह हमको तुम्हीं  माँ सही  अब दिखा दो।
शुद्ध हो  आचरण ये कला  तुम सिखा दो।
शूल  दिल  में  चुभे  आज  अज्ञानता  की-
पुष्प कुछ ज्ञान की माँ जरा तुम बिछा दो।
 #मुक्तक_गीत #माँ_दुर्गा #विश्वासी
हम  शरण  आ गए  हैं सुनो  माँ हमारी।
मातु हमपर दिखा दो कृपा आज भारी।
वंदना   कर   रहे  जोड़कर  हाथ  दोनों-
आरती  भी  करें  हम  सदा ही तुम्हारी।

मातु जीवन हमारा तुम्हीं अब सँवारो।
लाख कष्टों दुखों  से हमें  तुम उबारो।
नाव  अज्ञान  की  ले चले बीच धारा-
अब फँसी नाव है  माँ किनारे उतारो।

राह हमको तुम्हीं  माँ सही  अब दिखा दो।
शुद्ध हो  आचरण ये कला  तुम सिखा दो।
शूल  दिल  में  चुभे  आज  अज्ञानता  की-
पुष्प कुछ ज्ञान की माँ जरा तुम बिछा दो।
 #मुक्तक_गीत #माँ_दुर्गा #विश्वासी