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चांद को देखा था एक बार! और सोचा था की एक दिन जरार

चांद को देखा था एक बार!
 और सोचा था की एक दिन जरारु चांद को लाके मां को दूंगा। तो मां ने कहा था टिक है बेटा जब तू बड़ा हो जायेगा तब लाना। अब बड़ा हो चुका हूं। मै चांद नही लसाकत समझ कर मां ही चली गाई चांद के पास!

©Rohit Bilkar दोस्त की कहानी मेरे जुबानी | 
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Rohit_Bilkar

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दोस्त की कहानी मेरे जुबानी | #Childhood #maa #Shayar mother❤️ #iloveumaa #Family #dilkibaat #kalamkasaath

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