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भावनात्मक जुड़ाव नहीं रहगया अब रिश्तों में। बदला! त

भावनात्मक जुड़ाव नहीं रहगया अब रिश्तों में।
बदला! तुम तब नहीं आए अब हम नहीं आएंगे।

वक़्त की नज़ाक़त समझे बिना ही अकड़ते हैं।
जब भी  ज़रूरत  पडेगी तो बस मुँह फुलायेंगे।

कि तुमने नहीं निभाया मौक़े  तक याद रखेंगे।
धमाचौकड़ी करेंगे बस वो भी नहीं निभायेंगे।

उत्सव,त्योहार,शादी और ग़मी कुछ भी हो।
अदले का बदला चलन  में हैं सो  चलायेंगे।

ये कैसी रीत  बन  रही है  आजकल "पाठक"!
रीते दिल सभी आधी गागर से झलक जायेंगे। OPEN FOR COLLAB ✨ #ATज़िन्दगीकेकांटे • A Challenge by Aesthetic Thoughts! ♥️

Collab with your soulful words.✨ 

Transliteration: 
Zindagi ke kaante 
(The thorns of life)
भावनात्मक जुड़ाव नहीं रहगया अब रिश्तों में।
बदला! तुम तब नहीं आए अब हम नहीं आएंगे।

वक़्त की नज़ाक़त समझे बिना ही अकड़ते हैं।
जब भी  ज़रूरत  पडेगी तो बस मुँह फुलायेंगे।

कि तुमने नहीं निभाया मौक़े  तक याद रखेंगे।
धमाचौकड़ी करेंगे बस वो भी नहीं निभायेंगे।

उत्सव,त्योहार,शादी और ग़मी कुछ भी हो।
अदले का बदला चलन  में हैं सो  चलायेंगे।

ये कैसी रीत  बन  रही है  आजकल "पाठक"!
रीते दिल सभी आधी गागर से झलक जायेंगे। OPEN FOR COLLAB ✨ #ATज़िन्दगीकेकांटे • A Challenge by Aesthetic Thoughts! ♥️

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Transliteration: 
Zindagi ke kaante 
(The thorns of life)