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मूंद कर आंख को देखता हूं तुम्हे हो सुबह शाम हो सोच

मूंद कर आंख को देखता हूं तुम्हे
हो सुबह शाम हो सोचता हूं तुम्हे

दर्द में खुशियों में पूछता हूं तुम्हे
मन हि मन रात दिन पूजता हूं तुम्हे

रात को ख्वाब में हांथ तेरा पकड़
दूर जाने से मैं रोकता हूं तुम्हे

रोज़ तस्वीर मैं हूर की देख कर
नक्श मे उसके मैं खोजता हूं तुम्हे

ये फिज़ा ये बहारे सलामत रहे
पेड़ की आड़ ले चूमता हूं तुम्हे

अर्कान – 212 212 212 212 बहुत पुरानी है बस
मूंद कर आंख को देखता हूं तुम्हे
हो सुबह शाम हो सोचता हूं तुम्हे

दर्द में खुशियों में पूछता हूं तुम्हे
मन हि मन रात दिन पूजता हूं तुम्हे

रात को ख्वाब में हांथ तेरा पकड़
दूर जाने से मैं रोकता हूं तुम्हे

रोज़ तस्वीर मैं हूर की देख कर
नक्श मे उसके मैं खोजता हूं तुम्हे

ये फिज़ा ये बहारे सलामत रहे
पेड़ की आड़ ले चूमता हूं तुम्हे

अर्कान – 212 212 212 212 बहुत पुरानी है बस